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ग़ज़ल
ग़म नहीं गो ऐ फ़लक रुत्बा है मुझ को ख़ार का
आफ़्ताब इक ज़र्द पत्ता है मिरे गुलज़ार का
हैदर अली आतिश
ग़ज़ल
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
वाँ नक़ाब उट्ठी कि सुब्ह-ए-हश्र का मंज़र खुला
या किसी के हुस्न-ए-आलम-ताब का दफ़्तर खुला
यगाना चंगेज़ी
ग़ज़ल
क्यूँकर न ख़ुश हो सर मिरा लटक्का के दार में
क्या फल लगा है नख़्ल-ए-तमन्ना-ए-यार में
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
ग़ज़ल
गुल-ए-वीराना हूँ कोई नहीं है क़द्र-दाँ मेरा
तू ही देख ऐ मिरे ख़ल्लाक़ हुस्न-ए-राएगाँ मेरा
जगत मोहन लाल रवाँ
ग़ज़ल
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
ग़ज़ल
रंग है ऐ साक़ी-ए-सरशार क़ैसर-बाग़ में
फूल पीते हैं तिरे मय-ख़्वार क़ैसर-बाग़ में